2020-08-20 海讯社
दिल्ली पुस्तक मेला शनिवार से शुरू हुआ। मेले में आए कुछ युवा पाठकों ने शिकायत करते हुए कहा कि यह पुस्तक मेला, नहीं बिकी पुस्तकों को ठिकाने लगाने की जगह बनता दिखाई दे रहा है। पुस्तक मेले में हालांकि प्रवेश मुफ्त होने के साथ ही छूट और क्लीयरेंस बिक्री की भी घोषणा की गई है लेकिन फिर भी शिकायतें आ रही हैं।
कॉलेज छात्रों के एक समूह ने बताया कि वेह बिना कोई पुस्तक खरीदे प्रगति मैदान से बाहर निकल रहे हैं।
उनमें से एक ने आईएएनएस को बताया, “हम रविवार की दरियागंज पुस्तक बाजार में जाना ज्यादा पसंद करेंगे। वहां सड़क किनारे बिकने वाली पुस्तकें हमारे लिए ज्यादा अच्छी हैं।”
उन्होंने कहा, “आप केवल ‘100 रुपये में तीन किताबें’ का बैनर टांग कर किताबों के ढेर लगा रहे हैं और आशा कर रहे हैं कि हम अज्ञात लेखकों की किताबें खरीद लें।”
एक दूसरे युवक ने कहा कि एक अच्छी किताब हासिल करने के लिए बहुत तलाश करनी पड़ रही है।
अंग्रेजी नॉवेल और कथेतर की तलाश में यहां पहुंची अन्य छात्रा रिया ने कहा कि यहां ज्यादातर भारतीय साहित्य का प्रभुत्व है।
उसने कहा, “मुझे जिन किताबों की तलाश थी मैंने उसे काफी ढूंढ़ने की कोशिश की लेकिन ज्यादातर किताबें हिंदी साहित्य की थी और उसमें आध्यात्मिक।”
इसके साथ ही कुछ युवा पाठकों ने विविधता की कमी की शिकायत की, कुछ ने कहा कि विक्रेता क्रेडिट कार्ड नहीं स्वीकार कर रहे हैं। अन्य ने कहा कि यह उत्साहवर्धक नहीं है।