नई दिल्ली:
अदाणी ग्रुप पर शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग (Hindenburg Research) के हमले को डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है,लेकिन अब इससे जुड़े खुलासे दुनिया के सामने आ रहे हैं. ब्लूमबर्ग की ताजी रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे एक एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलर,एक न्यूयॉर्क हेज फंड,एक मॉरिशस-बेस्ड इन्वेसेंटमेंट कंपनी और एक बड़े भारतीय बैंक से जुड़े ब्रोकर ने दुनिया के इस सबसे घातक शॉर्ट सेलर हमले में अपनी भूमिका निभाई.
NDTV Profitमें छपी रिपोर्ट के अनुसार,बीते कुछ दिनों से शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) और भारत के मार्केट रेगुलेटर SEBI के बीच चल रही तनातनी और जवाबी हमलों ने अदाणी समूह के खिलाफ जारी की गई उस रिपोर्ट के पीछे के किरदारों को बेनकाब करना शुरू कर दिया है,परत-दर-परत सच सामने आने लगा है.
SEBI की ओर से भेजी गई चिट्ठी में पहली बार ये बात सामने आई कि अदाणी ग्रुप पर तैयार की गई रिपोर्ट को हिंडनबर्ग ने अपनी वेबसाइट पर छापने से पहले खास तौर पर किंग्डन कैपिटल (Kingdon Capital Management) के साथ साझा किया था,ये भी खुलासा हुआ कि हिंडनबर्ग और किंग्डन के बीच एक प्रॉफिट शेयरिंग डील भी थी. रिपोर्ट छपने के बाद जो मुनाफा हुआ वो किंग्डन कैपिटल को ज्यादा हुआ,उसने जो भी बोली लगाई थी,हिंडनबर्ग के मुकाबले तीन गुना ज्यादा मुनाफा कमाया था. इससे एक बात भी सामने आई कि इन ट्रेड्स के लिए किंग्डन ने भारत के एक बहुत बड़े बैंक की मदद ली थी.
SEBI की जांच के दायरे में हिंडनबर्ग,उसके फाउंडर नाथन एंडरसन,किंग्डन के फाउंडर मार्क किंग्डन और मॉरीशस बेस्ड इन्वेस्टर 'K India Opportunities Fund' शामिल हैं,इसलिए इन सभी को लंबा चौड़ा नोटिस भेजा गया था.ब्लूमबर्ग का कहना है कि उसने SEBI से इस पर जवाब मांगा है,लेकिन अभी तक कोई भी टिप्पणी नहीं की गई है,अदाणी ग्रुप और हिंडनबर्ग ने भी कोई जवाब अभी तक नहीं दिया है. किंग्डन ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
लेकिन क्या रिपोर्ट को साझा करने कोई अपराध है,इस पर अल्टरनेटिव मैनेजमेंट एसोसिएशन के एशिया-पैसिफिक को-हेड खेर शेंग ली का कहना है कि चुनिंदा निवेशकों के साथ रिसर्च को रिलीज से पहले साझा करना कोई असामान्य बात नहीं हैं,खासतौर पर शॉर्ट सेलर्स के बीच,लेकिन इसकी कानूनी वैधता 'फैक्ट सेंसिटिव' है,यानी इसका इस्तेमाल कहीं मार्केट में हेरफेर करने या फिर इनसाइडर ट्रेडिंग के इरादे से तो नहीं किया गया'.
SEBI के लेटर के मुताबिक किंग्डन,जिसकी 'K India fund' में कंट्रोलिंग हिस्सेदारी थी,उसने हिंडनबर्ग के साथ प्रॉफिट शेयरिंग एग्रीमेंट किया था,जिसमें हिंडनबर्ग को अपनी रिसर्च के आधार पर शेयरों में ट्रेडिंग से किसी भी प्रॉफिट का 30% हिस्सा 'कट' के तौर पर मिलता था. अदाणी ग्रुप पर शॉर्ट ट्रेड के लिए 'K India fund' के जरिए ट्रेड्स को रूट करने के लिए जरूरी अतिरिक्त समय और कोशिशों के कारण ये 'कट' घटाकर 25% कर दिया गया था.
अब समझिए कि किंग्डन ने कैसे अदाणी के शेयरों में खेल करने के लिए सेटअप तैयार किया. दिसंबर के आखिर तक किंग्डन ने फंड के शेयरों को सब्सक्राइब करना शुरू कर दिया था,और जनवरी में अदाणी एंटरप्राइजेज में शॉर्ट पोजिशन बनाने के लिए दो किस्तों में 4.3 करोड़ डॉलर ट्रांसफर भी किए. किंग्डन कैपिटल ने ट्रेड्स को एग्जीक्यूट करने के लिए भारत के बैंकिंग दिग्गज कोटक महिंद्रा (इंटरनेशनल) लिमिटेड या KMIL के साथ एक एग्रीमेंट किया.
फिर 'K India fund' ने 10 से 20 जनवरी के बीच,यानी रिपोर्ट जारी होने के कुछ दिन पहले ही फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स के जरिए 8.5 लाख शेयरों के लिए शॉर्ट पोजीशन बनाई और 1 फरवरी से 22 फरवरी के बीच इन पोजीशन को स्क्वॉयर-ऑफ कर दिया,यानी शेयरों को बेच दिया. SEBI ने अपने नोटिस में बताया कि इससे किंग्डन ने 2.23 करोड़ डॉलर का प्रॉफिट कमाया.अब चूंकि डील के मुताबिक प्रॉफिट का 25% कट शॉर्ट सेलर को भी मिलना था,इसलिए हिंडनबर्ग को किंग्डन की तरफ से 55 लाख डॉलर मिलने वाले थे. इसमें से करीब 41 लाख डॉलर का भुगतान 1 जून तक कर दिया गया था. ये पूरा खेल था प्रॉफिट कमाने और उसकी बंदरबांट का.
तीन साल पहले हेज फंड और संदेहवादी रिसर्चर्स के बीच के रिश्तों की जांच करने लिए अमेरिका ने एक बड़ी मुहिम चलाई थी,लेकिन इसने इंडस्ट्री को परेशान करना शुरू कर दिया था क्योंकि जांचकर्ता फंड मैनेजर्स और एक्टिविस्ट्स पर खुफिया जानकारी जुटाना चाहते थे.
अमेरिका का न्याय विभाग ट्रेडिंग का गलत तरीके से फायदा उठाने वालों की तलाश में शॉर्ट सेलिंग में लगे दर्जनों इन्वेस्टमेंट फर्म्स और रिसर्चर्स के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहा था. जांच में हाल ही में कामयाबी हाथ लगी और इसमें पहली सजा भी मिली. जो कंपनियों के शेयरों को गिराने में लगे रिसर्चर्स और हेज फंड्स के बीच साठगांठ की अनोखी तस्वीर पेश करती है.SEBI के नोटिस के मुताबिक - किंग्डन कैपिटल का कहना है कि उसको कानूनी सलाह मिली हुई है कि वो अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन किए बिना ड्राफ्ट रिपोर्ट को हासिल कर सकती है और इन्हें सार्वजनिक रूप से प्रसारित करने से पहले निवेश भी कर सकती है.
कोटक बैंक भारत के सबसे बड़े बैंकों और ब्रोकरेज फर्म्स में से एक है,जो किंग्डन के ऑफशोर फंड स्ट्रक्चर की देखरेख करता है'. हिंडनबर्ग ने कहा कि इसके बजाय,इसने 'K-India Opportunities fund' फंड का नाम दिया और 'कोटक' नाम को 'KMIL' के संक्षिप्त नाम से छिपा दिया.'इधर,कोटक बैंक भी अपनी सफाई में उतरा,उसने कहा कि हिंडनबर्ग कभी भी कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल का ग्राहक नहीं रहा है और न ही वो कभी के इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड में निवेशक रहा है. फंड को कभी भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि हिंडनबर्ग उसके किसी निवेशक का भागीदार था.'
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