जुर्माना न देने पर भुगतनी होगी अतिरिक्त सजा
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति को अपनी सौतेली बेटी के साथ बार-बार बलात्कार करने के जुर्म में दी गई सजा को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति की दोषसिद्धि के संबंध में निचली अदालत और केरल उच्च न्यायालय के सुविचारित निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है. हालांकि,सुप्रीम कोर्ट ने दोषी सौतेले पिता की सजा को आजीवन कारावास से घटाकर दस साल कर दिया. जबकि उसपर लगाया गया दो लाख रुपये का जुर्माना बरकरार रखा.सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला इस बात को ध्यान में रखते हुए लिया कि सौतेले पिता की आयु 40 वर्ष से अधिक है. वह पहले ही आठ वर्ष से अधिक कारावास में काट चुका है.
सुनवाई के दौरान पीड़िता ने बताया कि उसके सौतेले पिता ने कई बार उसके बलात्कार किया था. उसके साथ जंगल में तथा उसके घर पर बलात्कार किया गया था.ट्रायल कोर्ट और केरल उच्च न्यायालय दोनों ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता,1860 की धारा 376 (बलात्कार के लिए दंड) के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया था. इस फैसले को चुनौती देते हुए दोषी पिता सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. अपनी अपील में उसने ये तर्क भी दिया था कि उसके पास 2 लाख रुपये का जुर्माना भरने का साधन नहीं है,जो उस पर अतिरिक्त रूप से लगाया गया था.
ये भी पढ़ें- इंडिया बनेगा IA किंग,चिप का चैंपियन,TIME की लिस्ट बता रही अपना टाइम आ रहा