2024-10-26 HaiPress
नई दिल्ली:
कनाडा (Canada) और भारत के संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं. खालिस्तानी आतंकी निज्जर की मौत के बाद से दोनों देशों के बीच विवाद बहुत बढ़ गया है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं. हालांकि इसकी मुख्य वजह कनाडा की आंतरिक राजनीति है,जिसे साधने के खेल में जस्टिन ट्रूडो भारत से संबंध खराब कर बैठे हैं. भारत का विरोध और खालिस्तानियों का समर्थन करके वे खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि उनके कोई भी पैंतरे काम नहीं कर रहे हैं. ट्रूडो ने भारत से पंगा लेकर जो भी कदम अपने सियासी फायदे के लिए उठाए,वह हर एक कदम उल्टा ही पड़ा है. कनाडा में उनकी लोकप्रियता भी सबसे निचले स्तर तक गिर चुकी है. और तो और अपने मनमाने कदमों के कारण अपनी पार्टी में भी वे घिरने लगे हैं.
कनाडा में भारतीय छात्र (Indian students ) परेशान हैं. लाखों रुपये खर्च कर अपने उज्जवल भविष्य का सपना लेकर कनाडा पहुंचे भारतीय छात्र ट्रूडो सरकार की अचानक बदली अप्रवासन नीति से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
नक्शे पर देखें तो भारत और कनाडा के बीच की दूरी 11,462 किलोमीटर है. जस्टिन ट्रूडो की हरकतों से भारत और कनाडा की यह दूरी और बढ़ती ही जा रही है. कनाडा की ट्रूडो सरकार ने इमिग्रेशन में 20 फीसदी की कटौती करने का फैसला किया है. ट्रूडो सरकार के इस फैसले से अगले तीन सालों में स्थायी और अस्थायी निवासियों की संख्या कम की जाएगी. इसका सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर पड़ने जा रहा है.
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा- ''कनाडा की कहानी के केंद्र में इमिग्रेशन है. इमिग्रेशन की संख्या में अस्थायी तौर पर कटौती का फैसला हमारी अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करता है. कनाडा में अब हम कम अस्थायी विदेशी कर्मचारियों को आने देंगे. हम कंपनियों के लिए कड़े नियम लेकर आ रहे हैं,ताकि उन्हें ये साबित करना पड़े कि वे पहले कनाडाई कर्मचारियों को काम पर क्यों नहीं कर रख सकते हैं.''
कनाडा के मौजूदा हालात और नए नियमों से मुश्किलें झेल रहे भारतीय छात्रों से एनडीटीवी ने खास बातचीत की. इन्हीं में से एक छात्र हैं लखविंदर सिंह. दिल्ली के रहने वाले लखविंदर सिंह ने उज्जवल भविष्य की खातिर कनाडा आने का जोखिम उठाया. इसके लिए उन्होंने पूरी बचत,परिजनों,दोस्तों से रकम उधार ली,साथ ही बैंक से भी लोन लिया,लेकिन कनाडा में बदले हालात के चलते वे दिन-रात यही सोचने में लगे हैं कि कनाडा में उनका भविष्य क्या होगा?
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लखविंदर सिंह ने एनडीटीवी को यह भी बताया कि भारत-कनाडा के बीच विवाद से ज्यादातर भारतीय छात्र असमंजस की स्थिति में हैं. लखविंदर सिंह ने कहा कि,''बहुत सारे बच्चे इस चीज को लेकर कन्फ्यूज हैं,मैं भी हूं. सेकेंड ईयर का कोर्स मुझे लेना चाहिए या नहीं लेना चाहिए? सवाल है कि यदि मैं सेकेंड ईयर के कोर्स के लिए एप्लाई कर देता हूं,तो मुझे जो अभी हाल ही में जो सुनने को मिला था कि अगर आप एक नवंबर के बाद एप्लाई करते हो सकता है आपको एक ही साल का वर्क परमिट मिले. जबकि नियम यह हैं कि यदि आप टू ईयर कोर्स करते हैं तो थ्री ईयर पीजीडब्लूपी मिलता है.''
हैदराबाद के रहने वाले इंजीनियर संजीव और उनकी बहन कनाडा का पीआर हासिल करने की कोशिश में हैं. लेकिन किस्मत उनका साथ नहीं दे रही. एनडीटीवी से उन्होंने कहा कि कनाडा सरकार के नए नियमों ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.
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संजीव समेत बहुत सारे भारतीय छात्रों को कनाडा से वापस भेजे जाने का डर है. एनडीटीवी के जरिए उन्होंने कनाडा सरकार से अपील भी की कि नए नियमों का असर भारतीय छात्रों पर न पड़े,जिससे वे अपने सपने पूरे कर सकें.
कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलगरी से मैनेजमेंट कोर्स करने वाले वृज देसाई भी कनाडा के नए वीजा नियमों से चिंतित हैं. नए नियमों से पीआर हासिल करना और मुश्किल हो गया है क्योंकि उन्हें नौकरी नहीं मिल पाएगी.
वृज देसाई ने अपनी चिंताओं को एनडीटीवी से साझा करते हुए कहा कि,कनाडा में पार्ट टाइम जॉब के नियमों से पैसा कमाना बहुत मुश्किल हो रहा है...साथ ही उन्होंने कनाडा सरकार के मैनेजमेंट पर भी गंभीर सवाल उठाए.
उन्होंने कहा कि,''बदलाव से दिक्कतें आ रही हैं. लोगों को तीन साल की जगह दो साल का वर्क परमिट मिला है. गवर्नमेंट के मैनेजमेंट में भी थोड़ा प्राब्लम है. बहुत सारे स्टूडेंट को तीन की जगह दो साल का वर्क परमिट दिया है. हो सकता है बच्चों ने भी फाइल करने में गलती की हो. यहां पर एम्पलायर ढंढना बहुत मुश्किल है. यदि आपको कोई अच्छा एम्पलायर नहीं मिलता तो आपको पीआर करने के चांसेस थोड़ा कम हो जाते हैं और आपको एक्सप्रेस एंट्री में जाना पड़ेगा. एक्सप्रेस एंट्री में पॉइंट सिस्टम है. वह भी बहुत डिफिकल्ट है.''
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वीजा फीस बढ़ने के सवाल पर व्रज देसाई ने कहा कि,''घर वालों को चिंता रहती है कि बच्चा बाहर है,घर का खर्चा भी बढ़ गया है,फीस भी बढ़ गई है. पार्ट टाइम नौकरी में भी सिर्फ 20 घंटे ही कर सकते हैं एक हफ्ते में,जिससे पैसा जुटाना मुश्किल हो जाता है.''
हालांकि कनाडा में भारतीय छात्रों के सामने सिर्फ इमिग्रेशन में कटौती का ही खतरा नहीं है. NDTV के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय कुमार वर्मा ने कहा था कि खालिस्तानी आतंकी भी कनाडा में भारतीय छात्रों को टारगेट करते हैं. उन्हें डरा-धमकाकर खालिस्तानी प्रदर्शनों में ले जाया जाता है. साथ ही उन्होंने कहा कि कनाडा की सोसायटी बिल्कुल भारत की सोसायटी जैसी ही है. वे अपने मेहमानों का स्वागत करते हैं,लेकिन अभी की सरकार में हमें ऐसा महसूस हुआ कि भारत का वहां स्वागत करना नहीं चाहते.
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