जंगल में 'आग को सूंघने' वाले आदिवासी बच्‍चे की जब PM मोदी ने सुनाई कहानी

2025-01-14 IDOPRESS

नई दिल्ली:

पीएम मोदी ने मौसम विभाग के 150 साल पर नाविकों और आदिवासी समाज के मौसम के अद्भुत ज्ञान का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के पास मौसम की अद्भुत समझ है. दरअसल पीएम मोदी ने मंगलवार को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर देश को प्रत्‍येक मौसम और जलवायु का सामना करने के लिए 'स्मार्ट राष्ट्र' बनाने के मकसद से 'मिशन मौसम' की शुरुआत की. इस दौरान पीएम मोदी ने एक आदिवासी बच्चे से जुड़ा 50 साल पुराना किस्सा सुनाया. पीएम मोदी ने जिस बच्चे का किस्सा सुनाया,उसके पास ये हुनर था कि वो जंगल में आग लगाने पर अधिकारियों को इस बारे में बता देता था. इसके लिए उसे पैसे भी दिए जाते थे.

वो 50 साल पुराना किस्सा,जिसकी पीएम मोदी को आईं याद

पीएम मोदी ने कहा किमुझे याद है बहुत समय पहले,करीब 50 साल से भी ज्यादा समय हो गया होगा. मैं कुछ समय गिर के जंगलों में बिताने गया तो वहां सरकार के लोग एक आदिवासी बच्चे को हर महीने 30 रुपये देते थे. जब मैंने इस बारे में पूछा कि इस बच्चे को ये पैसा क्यों दिखा जा रहा है. जिस पर मुझे जवाब मिला कि इस बच्चे में अलग तरह की खासियत है. अगर जंगल में दूर-दूर तक भी कहीं आग लगी हो तो इसे तुरंत पता चल जाता है कि कहीं पर आग लगी है. उसमें वो सेंसेशन था. जिसके बारे में वो तुरंत ही सूचना देता था.

आदिवासी बच्चे के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इसलिए उसको 30 रुपये दिए जाते थे.उस बच्चे में क्षमता रही होगी कि वो सूंघकर बता देता होगा कि आखिर कहां पर आग लगी है. इसके मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि बहुत समृद्ध विरासत हमारे आदिवासी समाज के पास भी है. इसके पीछे नेचर की समझ और एनिमल बिहेवियर का बहुत बारीकी अध्ययन भी शामिल है.

IMD के 150 साल विज्ञान और टेक्नोलॉजी की गौरवपूर्ण यात्रा का प्रतीक

पीएम मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम भारतीय मौसम विभाग यानी आईएमडी के 150 वर्ष सेलिब्रेट कर रहे हैं. ये केवल भारतीय मौसम विभाग की यात्रा नहीं है,ये हमारे भारत में आधुनिक साइंस और टेक्नोलॉजी की भी गौरवपूर्ण यात्रा है. आईएमडी ने न केवल करोड़ों भारतीयों की सेवा की है,बल्कि भारत की वैज्ञानिक यात्रा का भी प्रतीक बना है. आईएमडी के 150 साल सिर्फ भारत मौसम विज्ञान विभाग की यात्रा का जश्न नहीं हैं. यह भारत में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की गौरवपूर्ण यात्रा का भी प्रतीक है.

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