2025-02-25
HaiPress
हैदराबाद:
तेलंगाना में दो दिन पहले श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग के निर्माणाधीन हिस्से के ढहने के बाद उसमें फंसे आठ लोगों के बचने की संभावना बेहद कम होती जा रही है. हालांकि उन तक पहुंचने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. बचाव दल और फंसे लोगों के बीच 50 मीटर से भी कम की दूरी बची है,लेकिन मलबे वाले दीवार के एक मीटर और मोटे हो जाने से लोगों की सलामती को लेकर खतरा और बढ़ गया है.
घटना के 48 घंटे बाद की स्थिति को लेकर एनडीटीवी को बताया गया कि बचाव अभियान को धीमा करने के लिए मजबूर किया जा सकता है,क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के एक विशेषज्ञ सहित कई जानकारों ने ढहे हुए हिस्से की स्थिरता के बारे में सवाल उठाए हैं. ऐसा माना जाता है कि अधिक खुदाई करने से न केवल फंसे हुए श्रमिकों को और खतरा हो सकता है,बल्कि उन्हें बचाने की कोशिश करने वालों की भी जान खतरे में पड़ सकती है.
बचाव अधिकारियों का मानना है कि सुरंग में हर मिनट 3,200 लीटर पानी भर रहा है,जो बड़ी मात्रा में रेत,चट्टान और मलबे के साथ मिलकर अधिक कीचड़ बना रहा है. यह अप्राकृतिक या अप्रत्याशित नहीं है और सुरंग से पानी निकाला जा रहा है,लेकिन चिंता की बात यह है कि कीचड़ का बढ़ना जारी है.
2023 में उत्तराखंड में ‘सिल्कयारा बेंड-बरकोट' सुरंग में फंसे निर्माण श्रमिकों को बचाने वाले ‘रैट माइनर्स' (हाथ से पर्वतीय क्षेत्रों की खुदाई करने में महारत रखने वाले व्यक्तियों) की एक टीम लोगों को निकालने के लिए बचाव दल के साथ सहयोग कर रही है. फंसे लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन और लग सकते हैं,क्योंकि दुर्घटना स्थल कीचड़ और मलबे से भरा हुआ है,जिससे बचाव दल के लिए यह एक मुश्किल काम बन गया है.
इस सुरंग में पिछले 48 घंटों से फंसे लोगों की पहचान उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार और श्री निवास,जम्मू कश्मीर के सनी सिंह,पंजाब के गुरप्रीत सिंह और झारखंड के संदीप साहू,जेगता जेस,संतोष साहू और अनुज साहू के रूप में हुई है. इन आठ लोगों में से दो इंजीनियर,दो ऑपरेटर और चार मजदूर हैं.
कृष्ण राव ने कहा कि कई मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम जारी है. सुरंग खोदने वाली मशीन (टीबीएम) का वजन कुछ सौ टन है,लेकिन सुरंग ढहने के बाद और पानी के तेज बहाव के कारण मशीन लगभग 200 मीटर तक बह गई. ऑक्सीजन की आपूर्ति और पानी निकालने का काम लगातार किया जा रहा है. हालांकि उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर फंसे हुए लोगों के बचने की संभावना को लेकर निराशा जताते हुए कहा,"अगर यह मान लें कि वे (फंसे हुए लोग) टीबीएम मशीन के निचले हिस्से में हैं,यह भी मान लें कि वह मशीन ऊपर है,तो हवा (ऑक्सीजन) कहां है? नीचे,ऑक्सीजन कैसे जाएगी?"
वहीं,दुर्घटना में बचे श्रमिकों ने अपनी आंखों के सामने हुई खौफनाक घटना का मंजर बयां करते समय अपने साथियों की सुरक्षित वापसी की उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा कि जब वे 22 फरवरी की सुबह सुरंग के अंदर गए तो पानी का बहाव काफी बढ़ गया था और ढीली मिट्टी ढहने लगी थी. जिन लोगों को खतरा महसूस हुआ वे सुरक्षित बाहर निकल गए,लेकिन आठ लोग बाहर नहीं आ सके. हमें उम्मीद है कि सरकार हमारे साथियों को सुरक्षित बाहर निकालेगी. हमें उम्मीद है कि वे जीवित होंगे.
तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में एसएलबीसी परियोजना में शनिवार को सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद सुरंग के अंदर 48 घंटे से अधिक समय से फंसे आठ लोगों को निकालने के लिए भारतीय सेना,एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद बचाव अभियान में अब तक कोई सफलता नहीं मिली है.