2025-05-12
HaiPress
(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आतंकवाद के खिलाफ भारत की अप्रोच ने इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मजबूत समर्थन दिलाया है. इन देशों में सबसे पहले युनाइटिड किंगडम ने भारत के समर्थन में आवाज उठाई. विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा कि भारत के पास नाराज होने के सभी कारण हैं और पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने जोर देकर कहा कि किसी भी देश को सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए.
रूस ने दोनों पक्षों से संयम बरतने का आह्वान करते हुए यह स्पष्ट किया कि वह सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा करता है और सैन्य वृद्धि को लेकर बहुत चिंतित है. इजरायल भी भारत के साथ मजबूती से खड़ा था. उसके राजदूत ने टिप्पणी की कि आतंकवादियों के लिए कोई पनाहगाह नहीं है और उसने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया. यूरोपीय संघ और सभी 27 सदस्य देशों ने एक एकीकृत और मजबूत बयान जारी किया,जिसे फ्रांस,नीदरलैंड और जापान ने दोहराया. संयुक्त राज्य अमेरिका ने अंततः इस आम सहमति के साथ गठबंधन किया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की,आतंकवाद से लड़ने के अपने संप्रभु अधिकार की पुष्टि करते हुए संयम और आगे बढ़ने के लिए कूटनीतिक रास्ता अपनाने का आग्रह किया.
हालांकि,अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अधिक सतर्क और व्यावहारिक लहजे में कहा कि क्षेत्रीय संघर्ष में अमेरिका की सीमित भूमिका है. "भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से शिकायतें हैं जबकि हम दोनों पक्षों से तनाव कम करने का आग्रह करते हैं,यह मूल रूप से एक क्षेत्रीय मामला है. यह अमेरिका का युद्ध नहीं है,और यह ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम नियंत्रित करने की कोशिश कर सकते हैं या करना चाहिए."
कई इस्लामिक देशों जैसे यूएई,ईरान,कतर और बांग्लादेश ने भी भारत का समर्थन किया. यूएई और कतर ने भी तनाव कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया,साथ ही आतंकवाद के सभी रूपों को दृढ़ता से खारिज किया और इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक या अन्य कोई भी औचित्य ऐसे कृत्यों को वैध नहीं ठहरा सकता. ईरान ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने का आग्रह करते हुए कहा कि नागरिकों को निशाना बनाना और आतंकवाद को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करना अनुचित है. बांग्लादेश ने आतंकवाद पर अपनी शून्य-सहिष्णुता नीति दोहराते हुए भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया.
इतना ही नहीं भारत द्वारा चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर बदला लेना नहीं था बल्कि अपने देश के लोगों की रक्षा करना और उन्हें सुरक्षित रखना था. देश ने ऐसी स्थिति में संयम और दृढ़ता के साथ काम किया. वैश्विक नेता भी जानते हैं कि भारत ने पहले हमला नहीं किया और केवल आतंकवाद का जवाब दिया है और ऐसा इस तरह से किया गया कि व्यापक संघर्ष से बचा जा सके.
अंत में ऑपरेशन सिंदूर एक मजबूत संदेश देता है: भारत आतंकवाद के सामने चुप नहीं बैठेगा. यह जरूरत आने पर कार्रवाई करेगा लेकिन सावधानी के साथ. दुनिया के समर्थन से यह भी समझ आता है कि जिम्मेदार देश भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को समझते हैं और इसका सम्मान करते हैं.