2025-05-16
HaiPress
अदालत के आदेश के बाद बदर खान सूरी को डिटेंशन सेंटर से रिहा कर दिया गया
बदर खान सूरी (Badar Khan Suri) अमेरिका के जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में एक भारतीय अकादमिक और गेस्ट स्कॉलर हैं. आखिरकार दो महीने हिरासत में रखे जाने के बाद एक अदालत के आदेश को मानते हुए उन्हें रिहा कर दिया गया है.
सूरी को 17 मार्च,2025 को अर्लिंगटन,वर्जीनिया में उनके घर के बाहर सिविल ड्रेस में फेडरल एजेंटों द्वारा गिरफ्तार किया गया था. उन्हें लगभग दो महीने तक टेक्सास के प्रेयरीलैंड डिटेंशन सेंटर में रखा गया था. अमेरिकी होमलैंड सुरक्षा विभाग ने उन पर "एक ज्ञात या संदिग्ध आतंकवादी से करीबी संबंध" रखने और यूनिवर्सिटी कैंपस में हमास का प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप लगाया है.
अब डिटेंशन सेंटर से बाहर आने के बाद सूरी ने हिरासत में अपने अनुभव को शेयर किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें कलाई,टखने और शरीर - हर जगह जंजीरों से बांध कर रखा गया था. उन्होंने बताया,"मुझे जंजीरों से जकड़ा गया था- मेरी टखने,मेरी कलाई,मेरा शरीर. सब कुछ जंजीरों से जकड़ा हुआ था." उन्होंने यह भी दावा किया कि पहले सात से आठ दिनों के दौरान,उन्हें नहीं पता था कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है और यहां तक कि वो अपनी परछाई भी नहीं देख पाते थे.
एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा,"पहले सात,आठ दिनों मैंने अपनी परछाई को भी मिस किया." उन्होंने यह भी कहा," मुझपर कोई आरोप नहीं था,कुछ भी नहीं था." उन्होंने कहा,"उन्होंने मुझे एक अमानवीय इंसान (सब-ह्यूमन) बना दिया."एनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार,सूरी ने दावा किया कि वहां फैसिलिटी (वाशरूम या अन्य) गंदगी से भरी थीं और उन्होंने लोकपाल के सामने अपनी चिंताएं उठाने की कोशिश की,लेकिन उन्हें कभी कोई जवाब नहीं मिला. हिरासत के दौरान सूरी अपने परिवार को लेकर तनाव में थे. "मुझे बस यही चिंता थी कि,ओह,मेरे बच्चों को मेरी वजह से परेशानी हो रही है. मेरा सबसे बड़ा बेटा केवल नौ साल का है,और मेरे जुड़वां बच्चे केवल पांच साल के हैं." उन्होंने यह भी कहा,"मेरा नौ साल का बच्चा जानता है कि मैं कहां हूं. वह बहुत कठिन समय से गुजर रहा था. मेरी पत्नी मुझसे कहती थी कि वह रो रहा है. उसे मेंटल हेल्थ के समर्थन की जरूरत है."
वर्जीनिया के अलेक्जेंड्रिया से फैसला सुनाते हुए अमेरिकी जिला न्यायाधीश पेट्रीसिया गाइल्स ने सूरी की तत्काल रिहाई का आदेश दिया,जिसमें कहा गया कि उनकी हिरासत फर्स्ट अमेंडमेंट - स्वतंत्र भाषण के अधिकार का उल्लंघन है. न्यायाधीश ने व्यक्तिगत मुचलके पर उनके परिवार में उनकी वापसी का आदेश दिया.
रिपोर्ट के अनुसार,सूरी के वकीलों ने उनकी हिरासत की वैधता को चुनौती देने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कॉर्पस) याचिका दायर की. अदालत के डॉक्यूमेंट के अनुसार,सूरी को रात भर वर्जीनिया में हिरासत में रखने के बाद टेक्सास भेज दिया गया और फिर वर्जीनिया में जगह की कमी के कारण लुइसियाना ट्रांसफर कर दिया गया.
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