वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम,2025 की संवैधानिकता (Waqf Law Hearing In Supreme Court) को लेकर बुधवार को दूसरे दिन भी सुनवाई होनी है. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अधिनियम का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और संपत्ति अधिकारों का उल्लंघन बताया है. उन्होंने इसे अदालत में चुनौती दी है. केंद्र सरकार ने कोर्ट से अपील की है कि सुनवाई को तीन मुख्य मुद्दों तक सीमित रखा जाए,जबकि याचिकाकर्ता पूरी समीक्षा की मांग कर रहे हैं. अदालत में किन मुद्दों पर दलीलें दी जा रही हैं और कौन जज सुनवाई कर रहे हैं,जानिए.
पहले दिन सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
वक्फ कानून पर कपिल सिब्बल की दलीलें पढ़िए
वक्फ अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट की 10 प्रमुख बातें
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की दलीलें पढ़िए
किन 3 मुद्दों पर चल रहीं दलीलें
अदालत द्वारा वक्फ,वक्फ बाई यूजर या वक्फ बाई डीड' घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का अधिकारराज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना से संबंधित है,जहां उनका तर्क है कि पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही इसमें काम करना चाहिए.वक्फ कानून के उस प्रावधान पर,जिसमें कहा गया है कि जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करते हैं कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं,तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा.
सुनवाई कर रही बेंच में कौन कौन?
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवईन्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह
वकील कौन-कौन?
कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी- कानून की वैधता को चुनौती देने वालों की ओर से पक्ष रख रहे हैं.सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता- केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
‘मजबूत और स्पष्ट' मामले की जरूरत
मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कानून के पक्ष में 'संवैधानिकता की अवधारणा' को रेखांकित करते हुए कहा कि वक्फ कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत के लिए एक ‘मजबूत और स्पष्ट' मामले की जरूरत है.
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तीन मुद्दों पर अंतरिम आदेश पारित करने के लिए वक्फ (संशोधन) अधिनियम,2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की,जिसमें ‘अदालतों द्वारा वक्फ,उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा वक्फ' घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का अधिकार शामिल है.
कपिल सिब्बल की दलील पर CJI ने क्या कहा
मामले की सुनवाई के दौरान जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कानून के खिलाफ अपना पक्ष रखना शुरू किया तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि प्रत्येक कानून के पक्ष में ‘संवैधानिकता की अवधारणा' होती है अंतरिम राहत के लिए आपको बहुत मजबूत और स्पष्ट मामला बनाना होगा,अन्यथा संवैधानिकता की अवधारणा बनी रहेगी.
सिब्बल ने इस कानून को ‘ऐतिहासिक कानूनी और संवैधानिक सिद्धांतों से पूर्णतः परे' तथा ‘गैर-न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से वक्फ पर कब्जा करने' का साधन बताया.
तुषार मेहता ने अदालत से क्या कहा?
केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से अनुरोध किया था कि याचिकाओं पर सुनवाई तीन मुद्दों तक सीमित रखी जाए. इनमें से एक मुद्दा यह है कि न्यायालय द्वारा वक्फ,उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का अधिकार है.
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